ऑपरेशन सिंदूर पर फिल्म या ऑपरेशन 'पाकिस्तान प्रेम'? ऑपरेशन सिंदूर की आड़ में क्या होगा बॉलीवुड का नया नैरेटिव?
खबरें हैं कि बॉलीवुड (bollywood ) के कुछ film makers ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को लेकर फिल्म बनाना चाहते हैं और इसके लिए सिनेमैटिक राइट्स (cinematic rights) के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का होड़ लगा हुआ है। एक प्रोड्यूसर (producer) ने तो फिल्म बनाने की अनाउंसमेंट के साथ-साथ फिल्म का पोस्टर (poster) भी जारी कर दिया। लेकिन जब लोगों ने ट्रोल (troll) करना शुरू किया तो उन्होंने सफाई दी और कहा कि पैसे के लिए नहीं, फिल्म अच्छाई दिखाने के लिए बनाई जा रही है। अब इसमें कोई बुराई नहीं है और ऐसी फिल्में बननी भी चाहिए जो देश की अच्छाई और पराक्रम को पर्दे पर दिखाएं। बस डर इस बात का है कि फिल्म बनाने की आड़ में इन सब आर्टिस्ट और निर्माताओं को अचानक से सेक्युलरिज़्म (secularism) का कीड़ा न काट खाए या इनका पाकिस्तान (Pakistan) प्रेम न जाग जाए।
क्योंकि, कुछ निर्माता को ऑपरेशन सिंदूर दिखाने के बहाने और भी बहुत सी बातों का दिखाने का मन करेगा और यही लोग मसाला फिल्म बनाते-बनाते, ह्यूमन राइट्स (human rights), विक्टिम कार्ड (victim card) या पाकिस्तान प्रेम की ऐसी तड़का लगाएंगे कि फिल्म बनने के बाद ऑपरेशन सिंदूर कम, ऑपरेशन 'पाकिस्तान प्रेम' ज़्यादा लगेगा। या फिर आतंकवादियों (terrorists) को ही ग्लैमराइज (glamourise) करके दिखाया जाएगा। fim में दिखाने की कोशिश की जाएगी कि आतंकवादियों में भी इंसानियत है और वह भी हिंदू को मार नहीं रहे हैं या तो सीधे हिंदू के जगह कुछ और कर दिया जाएगा ताकि यह हो जाए कि विक्टिम (victim) सारे लोग हैं।
शायद ऑपरेशन सिंदूर का नाम ही बदल दिया जाएगा क्योंकि प्रोड्यूसर्स या एक्टर्स (producers or actors) को लगेगा कि शायद इससे पाकिस्तानी फैन बेस (fan base) नाराज़ हो जाएगा। कुछ निर्माता को लगेगा कि फवाद भाई (Fawad Khan) का तो फिल्म "अबीर गुलाल" (Abeer Gulal) ही रिलीज़ नहीं हो पाई है तो क्या यह सही रहेगा कि इसको ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया जाए? इसमें यह भी ध्यान दिया जाएगा कि कहीं माहिरा खाला, मतलब माहिरा खान, हानिया अम्मी, सॉरी हानिया आमिर या मावरा cocaine, मतलब मावरा होक्कैन (Mawra Hoccane) नाराज़ न हो जाए। फिर इसी फिल्म में अमन की आशा या इंडिया-पाकिस्तान (India-Pakistan) का प्रेम दिखाने की कोशिश की जाएगी, कहा जाएगा कि नहीं, यह सब तो बस सरकार फैसले लेती है, इसी के चलते लड़ाई होती है, नहीं तो पाकिस्तानी आम लोग तो बहुत ही अमन पसंद लोग हैं।
एक तरीके से बनाने चलेंगे कश्मीरी पुलाव लेकिन इतना "कश्मीरियत" का मसाला और तड़का उसमें ठूंस दिया जाएगा कि कश्मीरी पुलाव से पुलाव ही गायब हो जाएगा और बस खाली कश्मीरियत ही कश्मीरियत नज़र आएगा।
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